नहीं जाता माँ मैं वैष्णव देवी
क्योंकि वैष्णव सबरूप मेरी जन्मदाती मेरी माँ मेरे घर पे है,
नहीं जाता मैं हरिद्वार कांवड़ लेने
क्योंकि शंकर सबरूप मेरे पिता मेरे घर पे हैं,
नहीं जाता मैं गुरूद्वारे इसके लिए भी मांगता माफ़ी मैं,
क्योंकि मेरे गुरु ने जो मंत्र दिया उसका सिमरन ही काफी है,
तेरे दर पे झुका हूँ देना हो तो इतना मान देना
कि श्रवण कुमार की तरह माँ बाप की सेवा कर पाऊं
बस यही वरदान देना
8 टिप्पणियां:
हिन्दी ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है...
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है.
अविभूत कर दिया आप ने भाई
बहुत सुन्दर लेख धन्यवाद|
बहुत बड़ा सच यही है...माँ बाप सबके भगवन है
शुभकामनाएं ।
इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
sundar rachna hai.saadhuwad.
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