शनिवार, 2 अक्तूबर 2010

हिन्दुस्तान

लहू के संग रग रग में बहता बन के हमारी जान
हमारा प्यारा हिन्दुस्तान कि हमको प्यारा हिन्दुस्तान


चार ऋतुएं यहाँ पे आती कभी फूल कभी पतझड़ लाती,
सावन में बरसे बदरा बसंत सभी को खुश कर जाती,
मन में होती हलचल ऐसे जैसे संगीत की तान
हमारा प्यारा हिन्दुस्तान कि हमको प्यारा हिन्दुस्तान


ऋषियों की है पावन भूमि वेदों का यहाँ ज्ञान
गुरद्वारे मंदिर में पूजा मस्जिद में अज़ान
जन्म लेने को गोद में इसकी तरसे है भगवान्
हमारा प्यारा हिन्दुस्तान कि हमको प्यारा हिन्दुस्तान


वतन की खातिर सर को कटा दे ऐसे यहाँ के वीर
आँख उठाये कोई इस पर देते उसको चीर
शूरवीरता और कुर्बानी है इनकी पहचान
हमारा प्यारा हिन्दुस्तान कि हमको प्यारा हिन्दुस्तान


हर धर्म के लोग हैं रहते सब बोलियों का मेल
ईद दिवाली और क्रिसमस होली का हो खेल
जात धर्म को भूल यहाँ पर रहते हैं इंसान
हमारा प्यारा हिन्दुस्तान कि हमको प्यारा हिन्दुस्तान


पावन नदियाँ कल कल करती पर्वत करते शोर
सम्मान करे तिरंगे का और राष्ट्रीय पक्षी मोर
हर ख़ुशी के मौके पे हम गाएँ राष्ट्रीय गान
हमारा प्यारा हिन्दुस्तान कि हमको प्यारा हिन्दुस्तान

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