गुरुवार, 14 अक्तूबर 2010

कन्या

जब धरती पाप का बोझ ढोती है
तो खुदा की आँख भी नम होती है

कोख में मार देते हैं
जब बेटी को माँ बाप
हर तरफ विपदा होती है
प्राकृतिक आपदा आती है
धरती काँप जाती है
अम्बर फट जाता है
बिजलियाँ गिरता है
गंगा भी पाप नहीं धोती है
हर तरफ विपदा होती है

कन्या देवी, कन्या दुर्गा,
कन्या पूजनीय होती है
कन्या को मरवाने वाली
खुद भी कन्या होती है
बेटी को मरवा कर के
क्यूँ पाप का बोझ ढोती है
हर तरफ विपदा होती है |

कोई टिप्पणी नहीं: