गुरुवार, 14 अप्रैल 2011

हम दोस्त चार, करके घूमने का विचार, हो गए हम तैयार
समस्या एक थी आई ,किस पर जाएँ भाई ,
इस समस्या का हल हमने ऐसे पाया
एक दोस्त किस्सी का स्कूटर मांग लाया
एक तो वो खटारा स्टार्ट ही नहीं हुआ
उप्पर से हमने उसे धक्का लगाया
जैसे तेसे हम चरों सेहतमंद एक स्कूटर पे चल दिए
और रामलीला देखने को निकल दिए.
जैसे ही पहुंचे चोराहे पर आ गयी समस्या
एक लम्बे चोढ़े बड़ी बड़ी मुछो वाले
पुलिस वाले ने पकड़ लिया.
बोला एक स्कूटर पर चार, बिना हेलमेट के सवार
चालान करना पड़ेगा जुर्माना भरना पड़ेगा
जल्दी से लाइसंस दिखायो दो सों का चालान कटायो
हमने कहा लाइसंस तो नहीं बनवाया
उन्होंने जुर्माना सों रुपये और बढाया
बोला स्कूटर के कागज दिखालायो ३०० का चालान कटवायो
हमने कहा स्कूटर के कागज भी नहीं है,
वो बोला आप बहुत सही हैं
इतने कानून तोड़ते हैं लाइए ५०० हम तुम्हे छोड़ते हैं
जल्दी से बताओ अपना अपना नाम
पहला बोला मैं हूँ राम, दुसरे ने भी बनाया मन
बोला मैं हूँ लक्ष्मण, तीसरा मैं था
मैंने अपना नाम भरत बताया
चौथा बोला मैं शत्रुधन.
वो बोले राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न
नाम तो बड़े प्यारे हैं लगता है आप दशरथ के राज दुलारे है
हमने कहा बिलकुल सही, अब तो हम ऐसा मानते है
कि आप हमारे पिता जी जानते है
वो बोला जानता हूँ अच्छी तरह से जानता हूँ
ये एक लम्बी कहानी है, मेरी तुम लोगो से दुश्मनी पुरानी है
तुम लोगो ने किया गलत कम है और रावण मेरा नाम है
मैंने एक बार सीता चुराई है सदियों तक इसकी सजा पाई है
लेकिन आज के ये रावण रोज सीता चुराते है
फिर भी कोई सजा नहीं पाते है
कई तो चुनाव जीतकर संसद मै पहुँच जाते है
और सफ़ेद कपडे पहनकर नेता जी कहलाते है
मुझे बातों में मत उल्झायो जल्दी से ५०० लायो
तब हमने उससे सोदेबजी क़ी, २०० में बात बनी
शत्रुधन को भेजा कहीं से २०० मांग कर लाया
तब हमने अपना स्कूटर छुरवाया
लोटके हम घर को आ गए इससे एक नसीहत पा गए
कि दोस्तों गलत काम न करो और
इस तरह राम का नाम बदमान न करो .

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