आग में तन भुना जा रहा है!
दुःख मगर अनसुना जा रहा है!!
छोड़कर माँ चली जाये खुद ही!
जाल घर में बुना जा रहा है!!
लुट रही हर घडी भारती माँ!
जेब से सौ गुना जा रहा है!!
जिंदगी भर न वो सोच पाया!
जो कहा जो सुना जा रहा है!!
लूटकर खा गया देश को जो!
फिर वो नेता चुना जा रहा है!!
उम्र भर बोलता सच रहा जो!
"पाल"क्यूँ वो धुना जा रहा है!!